टोपी
गवरइया को कूड़े के ढेर पर से चुगते-चुगते एक रुई का फाहा मिल गया। वह उसे लेकर धुनिए के पास गई। उसे धुनवाकर, वह गई कोरी के पास सूत कतवाने। जब सूत कत गया तो बुनकर की तलाश कर उसने सुंदर कपड़ा बुनवाया। कपड़ा बुनकर तैयार हुआ तो उसने दरज़ी से टोपी बनवाई। दरज़ी ने भी उसकी टोपी में सुंदर फुँदन टाँककर लाज़वाब टोपी बनाई।
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