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भारतीय गायिकाओं में बेजोड़: लता मंगेशकर
चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए- अकसर यह आरोप लगाया जाता रहा है। इस संदर्भ में कुमार गंधर्व की राय और अपनी राय लिखें।
शास्त्रीय संगीतकार प्राय: यह आरोप लगाते हैं कि चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए हैं अर्थात् लोगों के कानों को चित्रपट संगीत अधिक लुभाता है। इसने उनकी रुचि को बिगाड़ दिया है। लेखक कुमार गंधर्व का विचार है कि यह कथन सही नहीं है। चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़े नहीं हैं उलटे सुधार दिए हैं।
हमारा विचार भी कुमार गंधर्व से मिलता है। हमारा मत भी यह है कि चित्रपट संगीत ने लोगों में संगीत के प्रति रुचि जाग्रत की है जबकि शास्त्रीय संगीत केवल एक वर्ग तक सिमट कर रह गया था। चित्रपट संगीत ने कर्णप्रिय संगीत रचने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है।
Some More Questions From भारतीय गायिकाओं में बेजोड़: लता मंगेशकर Chapter
लेखक के मत में लता के गायन से चित्रपट संगीत पर क्या प्रभाव पड़ा है, साथ ही लोगों के दृष्टिकोण में भी क्या अंतर आया है?
लता की लोकप्रियता का मुख्य मर्म क्या है?
शास्त्रीय संगीत में लता का कौन-सा स्थान है?
दोनों प्रकार के संगीत के बारे में लेखक के विचारों को अभिव्यक्त कीजिए।
लेखक के विचार में शास्त्रीय गायक किस प्रवृत्ति के हैं?
चित्रपट संगीत दिनोंदिन क्यों विकसित होता चला जा रहा है?
चित्रपट संगीत के क्षेत्र में लता का क्या स्थान है?
चित्रपट संगीत ने समाज पर क्या प्रभाव डाला है?
लता की गायकी से संगीत के प्रति आम लोगों की सोच में क्या अंतर आया है?
लेखक ने पाठ में गानपन का उल्लेख किया है। पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएँ कि आपके विचार में इसे प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है?
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