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10:33 am

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Question is

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं
केवल इतना हो (करुणामय)
कभी न विपदा मैं पाऊँ भय।
दुःख-ताप से व्यथित चित्त को, न दो सांत्वना नहीं सही
पर इतना होवे (करुणामय)
दुख को मैं कर सकूँ सदा जय।
कोई कहीं सहायक न मिले
तो अपना बल पौरुष न हिले;
हानि उठानी पड़े जगत में लाभ अगर वंचना रही।।
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।।


(i) कवि की प्रार्थना क्या है?

(क) विपदाओं से बचाने की
(ख) विपदा नहीं देने की
(ग) विपदाओं से नहीं डरने की
(घ) विपदाओं से लड़ने की


(ii) दुख से पीड़ित होने पर कवि क्या चाहता है?

(क) दुख दूर करने का उपाय
(ख) दुखों को जीत सकने का वरदान
(ग) सुख मिलते रहने का वरदान
(घ) दुख सहने की शक्ति


(iii) सहायक न मिलने पर कवि क्या चाहता है?

(क) सांत्वना मिलती रहे
(ख) वह अकेला न रहे
(ग) बल पौरुष कम न हो
(घ) दुख को सहता रहे


(iv) ‘करुणामय’ शब्द का अर्थ है

(क) करुणा करने वाला
(ख) करुणा से ओतप्रोत
(ग) करुणा का पुतला
(घ) करुणा का अवतार


(v) कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है?

(क) विपत्तियाँ सहनी चाहिए
(ख) ईश्वर की प्रार्थना करते रहना चाहिए
(ग) मानव को स्वयं पर भरोसा होना चाहिए
(घ) आत्मबल की रक्षा करनी चाहिए

 

अथवा
 

खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
तोड़ तो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न जाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।


(i) काव्यांश की पृष्ठभूमि में कौन-सी ऐतिहासिक घटना है?

(क) भारत-पाक युद्ध
(ख) भारत-चीन युद्ध
(ग) भारत-बांग्लादेश युद्ध
(घ) भारतीय स्वाधीनता संग्राम


(ii) ‘खूँ से ज़मीं पर लकीर’ खींचने का आशय है

(क) सीमाओं पर रक्तपात करना
(ख) दुश्मन पर हमला करना
(ग) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना
(घ) मातृभूमि की रक्षा को तत्पर रहना


(iii) ‘रावण’ का प्रतीकार्थ है

(क) भारत का शत्रु
(ख) आक्रमणकारी
(ग) राम का विरोधी
(घ) देशद्रोही


(iv) ‘सीता का दामन’ से तात्पर्य है

(क) देश का स्वाभिमान
(ख) देवी-देवताओं की मर्यादा
(ग) भारतीय सांस्कृतिक परंपरा
(घ) मातृभूमि का सम्मान


(v) ‘राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियो’ कथन से कवि का संकेत है

(क) तुम्हें युद्ध भी करना है और रक्षा भी
(ख) तुम्हें राम भी बनना है और लक्ष्मण भी
(ग) तुम्हें भारतीयता को भी बनाना है और सीमाओं को भी
(घ) तुम्हें नारी के सम्मान की भी रक्षा करनी है और मर्यादा की भी

 

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