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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – हे ग्राम–देवता नमस्कार। जन कोलाहल से दूर कहीं एकाकी सिमटा–सा निवास, रवि–शशि का उतना नहीं कि जितना प्राणों का होता प्रकाश, श्रम–वैभव के बल पर करते हो जड़ में चेतनता का विकास दानों–दानों से फूट रहे, सौ–सौ दानों के हरे हास यह है न पसीने की धारा यह गंगा की है धवल धार – हे ग्राम–देवता नमस्कार। तुम जन–मन के अधिनायक हो तुम हँसो कि फूले–फले देश, आओ सिंहासन पर बैठो यह राज्य तुम्हारा है अशेष, उर्वरा भूमि के नए खेत के नए धान्य से सजे देश, तुम भू पर रहकर भूमि भार धारण करण करते हो मनुज शेष, महिमा का कोई नहीं पार हे ग्राम–देवता नमस्कार ।। (क) ग्राम–देवता को किसका अधिक प्रकाश मिलता है और क्यों ? (ख) 'तुम हँसो' का क्या तात्पर्य है ? गाँवों के हँसने का क्या परिणाम हो सकता है ? (ग) जड़ में चेतनता का विकास कौन करता है और कैसे ? (घ) जन–मन का अधिनायक किसे कहा गया है ? उसके प्रसन्न होने का क्या परिणाम होगा ?