चुनौती: उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वेक्षण कराया और पाया कि ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अधिकतर डॉक्टर अनुपस्थित थे। वे शहरों में रहते हैं, नीजी प्रैक्टिस करते हैं और महीने में सिर्फ एक या दो बार अपनी नियुक्ति वाली जगह पर घूम आते हैं। गाँव वालों को साधारण रोगों के इलाज के लिए भी शहर जाना पड़ता है और प्राइवेट डॉक्टरों को मोटी फ़ीस देनी पड़ती है। सुधार के प्रस्ताव:
- सरकार को डॉक्टर के लिए नियुक्ति वाली जगह पर रहना अनिवार्य कर देना चाहिए अन्यथा उनकी सेवा समाप्त कर दी जाए।
- डॉक्टरों की अनुपस्थिति की जांच के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को अचानक छापा करना चाहिए।
- ग्राम पंचायतों को डॉक्टरों के कामकाज की वार्षिक रिपोर्ट लिखने का अधिकार होना चाहिए और इस रिपोर्ट को पंचायत में रखा जाना चाहिए।
- इस जैसी समस्याओं का समाधान उत्तर प्रदेश को कई टुकड़ों में बाँटना है जिसे प्रशासन कुशलता से चल सके।
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चुनौती: लोकसभा का पिछला चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उमीदवार की संपत्ति औसतन एक करोड़ से ज़्यादा की थी। यह डर व्यक्त किया जा रहा है कि आप चुनाव लड़ना सिर्फ़ अमीरों या उनका समर्थन रखने वालों के लिए ही संभव है। अधिकतर राजनीतिक दल बड़े व्यावसायिक घरानों के चंदों पर निर्भर करता है। आशंका इस बात की है कि राजनीति में पैसों की यह बढ़ती हुई भूमिका गरीबों के खिलाफ़ जाएगी और उनके लोकतंत्र में जो थोड़ी-बहुत आवाज उठा पाते हैं उससे भी वंचित हो जाएँगे। सुधार के प्रस्ताव:
- प्रत्येक राजनीतिक दल की वित्तीय लेखा जोखा को सार्वजनिक कर दिया जाना चाहिए। इसका लेखा सरकारी ऑडिटरों से कराया जाना चाहिए।
- चुनाव का खर्च सरकार को उठाना चाहिए पार्टियों को चुनावी खर्च के लिए सरकार कुछ रकम दे। नागरिकों को भी दल के कार्यकर्ताओं को चंदा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आयकर में छूट मिलनी चाहिए।
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