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उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।।अर्ध राति गई कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ।।सकहू न दुखित देखि मोहि काऊ। बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ।।मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहू बिपिन हिम आतप बाता।।