A.
बात की चूड़ी मर जाना
| (i)
कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना
|
B.
बात की पेंच खोलना
| (ii)
बात का पकड़ में न आना
|
C.
बात का शररती बच्चे की तरह खेलना
| (iii)
बात का प्रभावहीन हो जाना
|
D.
पेंच को कील की तरह ठोंक देना
| (iv)
बात में कसावट का न होना
|
E.
बात का बन जाना
| (v)
बात को सहज और स्पष्ट करना
|