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निम्नलिखितकाव्यांशको ध्यानपूर्वकपढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए [1 × 5 = 5]
यश है या न वैभव है, मान है न सरमायाः जितनी ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया। प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना।
(क) ‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है’— इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है ? (ख) कवि ने यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? (ग) “मृगतृष्णा’ का प्रतीकात्मक अर्थ लिखिए।