'सपनों के से दिन' पाठ में हेडमास्टर शर्मा जी की, बच्चों को मारने–पीटने वाले अध्यापकों के प्रति, क्या धारणा थी? जीवन–मूल्यों के संदर्भ में उसके औचित्य पर अपने विचार लिखिए।
हेडमास्टर साहब के अनुसार बच्चे शिक्षा लेने आते हैं, उनके अमानवीय व्यवहार करना खराब बात थी। अतः जो अध्यापक बच्चों के साथ मार-पीट करते थे, उन्हें ऐसे अध्यापक पसंद नहीं थे। उनका मानना था कि बच्चे कोमल होते हैं, उनके साथ मार-पीटाई नहीं करनी चाहिए। जो अध्यापक ऐसा करते हैं, उन्हें शिक्षक बनने का अधिकार नहीं है। यही कारण है जब मास्टर प्रीतमचंद को अपनी कक्षा के बच्चों के साथ पिटाई करते देखा, तो वह क्रोधित हो गए। उन्होंने उस समय तुरंत निर्णय लिया और मास्टर प्रीतमचंद को नौकरी से निकाल दिया। शिक्षक का कार्य है बच्चों को शिक्षा देकर उन्हें ज्ञान देना। उनके भविष्य की नींव रखना। परन्तु यदि शिक्षक ही बच्चों के साथ मार-पिटाई करेंगे, तो वह शिक्षा प्राप्त करने के स्थान पर पढ़ने से डरने लगेंगे। इस तरह वे विद्यालय में आना बंद कर देंगे। शिक्षक का स्थान माता-पिता के बाद होता है। अतः यदि शिक्षक ही अपने मार्ग से हट जाए, तो बच्चों के भविष्य को कौन संवारेगा। अतः हमें समझना चाहिए कि बच्चों के साथ प्रेम और उदारता का व्यवहार करें। शिक्षक के यही मूल्य बच्चों के जीवन को संवार सकेंगे।