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शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेल

Question
CBSEHHIPEH12037030

बुढ़ापे के कारण आने वाले शरीर-क्रियाविज्ञान सम्बन्धी परिवर्तनों को बताइए?

Solution

बुढ़ापा विभिन्न शरीर क्रियात्मक कार्यो की दक्षता में आने वाला निरंतर तथा अपरिवर्तनीय पतन या क्षय है। ये परिवर्तन प्राय : तीस वर्ष की आयु के उपरांत देखे जा सकते है।

बुढ़ापे के कारण आने वाले शरीर-क्रियात्मक परिवर्तन:

  1. मांसपेशी संस्थान (Muscular System)
    - मांस पेशियोंके आकार तथा शक्ति में कमी।
  2. स्नायु संस्थान (Change in nervous system)
    इन्द्रियबोध में कमी Loss of Sense।
    कान, नाक, सूंघने की शक्ति, देखने की शक्ति, बोलने की शक्ति, स्पर्श आदि बोध में कमी आ जाती हैं।
    केन्द्रीय स्नायु संस्थान की कार्यक्षमता में भी कमी आ जाती है।
  3. पाचन संस्थान (Digestive System)
    शरीर के संघटक तथा उपापचय में भी कमी आ जाती है। (Decrease in Metabolism & Body Composition).
    Hcl अम्ल , द्रव्य, पाचक एंजाम तथा लार ग्ररइप्थ में कमी।
  4. अस्थि संस्थान (Skeletion System)
    अस्थियों के घनत्व में कमी (Decrease bone density)।
    ओस्टिपोरोसिस (Oestoporosis) के कारण हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती है और जल्दी-जल्दी अस्थि टूट (Fracture) जाती है।
    कोलेजन बहिका रोग (Collagen Vascular Diseases)।
  5. हृदय वाहिनी संस्थान में परिवर्तन (Changs in Cardiovascular System)- हृदय मांसपेशीय कमजोर हो जाती हैं।
    स्ट्रोक-आयतन (Stroke Volume), कार्डिएक-आउट पुट (Cardiac Output) तथा रक्त आयतन (Blood Volume) में कमी आना।
    रक्त वाहिनियों का लचीलेपन में भी कमी आ जाती है।
    उच्चरक्तचाप में वृद्धि (High Blood Pressure)
    जल्दी-जल्दी थकावट का अनुभव (Feeling of Fatigue)
  6. श्वसन संस्थान में परिवर्तन (Changes in Respiratory System)
    बढ़ती आयु में फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी आने लगती है।
    वायुमार्ग व फेफड़ो की मांसपेशी का लचीलापन तथा कार्यकुशलता में कमी।
    ऑक्सीजन अतः-ग्रहण, आक्सीजन विनिमय क्षमता कम हो जाती है।
    पसलियों की मांसपेशिया कमजोर हो जाती है।
  7. शारीरिक क्षमता के घटकों में कमी
    शक्ति, गति, लचीलापन, सहनशीलता, समन्वय व फूर्ती में कमी होने लगती है।
  8. मूत्र संस्थान में परिवर्तन (Changes in Urninary System)
    गुर्दों का आकार कम होने से रक्त को साफ करने की दर भी कम हो जाती है।
    अवशिष्ट मूत्र की मात्रा में वृद्धि हो जाती है।

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