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किसान और काश्तकार

Question
CBSEHHISSH9009525

अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टि से देखती थी? संक्षेप में व्याख्या करें। इस व्यवस्था को:
एक संपन्न किसान
एक मज़दूर
एक खेतिहर स्त्री
की दृष्टि से देखने का प्रयास करें ।

Solution

एक सम्पन्न किसान की दृष्टि से
सोलहवीं सदी में जब उन के दाम विश्व बाज़ार में चढ़ने लगे तो संपन्न किसान लाभ कमाने के लिए ऊन का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करने लगे। इसके लिए उन्हें भेड़ों की नस्ल सुधारने और बेहतर चरागाहों की आवश्यकता हुई है। नतीजा यह हुआ कि साझा ज़मीन को काट- छाँट कर घेरना शुरु कर दिया गया ताकि एक की संपत्ति दूसरे से या साझा ज़मीन से अलग हो जाए। साझा जमीन पर झोपड़ियाँ डाल कर रहने वाले ग्रामीणों को उन्होंने निकाल बाहर किया और बाड़ाबंद खेतों में उनका प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया। अतः एक धनी किसान के लिए खुले खेत की पद्धति और दृष्टिकोण से लाभदायक थी।
एक मज़दूर की दृष्टि से
शुरू में मज़दूर अपने मालिक के साथ रहते हुए विभिन्न कामों में उसकी सहायता किया करते थे। किंतु 1800 ई.के आस-पास यह प्रथा गायब होने लगी। अब मज़दूरों को मज़दूरी दी जाने लगी तथा केवल फसल काटने के समय में उनकी सेवा ली जाने लगी। अपने लाभ को बढ़ाने के लिए मजदूरों पर होने वाले खर्चे में ज़मींदार लोग कटौती करने लगे। फलत: उनके लिए रोजगार अनिश्चित तथा आय अस्थाई हो गए। साल के अधिकतर समय उनके पास कोई काम नहीं था। अत: इस पद्धति का उनको फायदा नहीं था।

एक खेतिहर दृष्टि से
जब गरीब किसान घर से दूर खेतों में काम कर रहे होते थे तो महिलाएँ अपने-अपने घरों का काम कर रही होती थीं। एक खेतिहर महिला, पुरुष के कामों में भी हाथ बटाँती थी। इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यक कार्यों का जैसे गौपालन, जलावन की लकड़ियों का संग्रह तथा संयुक्त क्षेत्र से फल-फूल का संग्रह की जिम्मेवारी भी महिलायें संभालती थीं। चूँकि, बाड़ायुक्त क्षेत्रों में प्रवेश निषिद्ध था फलतः उन्हें अपने कार्यों में कठिनाई होती थी। अत: यह पद्धति खेतिहर महिला के लिए भी लाभदायक थी।