राष्ट्रवादी आंदोलन ने इस विचार का समर्थन किया कि सभी वयस्कों को मत देने का अधिकार होना चाहिए ?
औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थेl वे सरकार के बहुत सारे फ़ैसलों से असहमत थे लेकिन अगर वे इन फ़ैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता थाl स्वतंत्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डालीl राष्ट्रीयवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँगें पेश करने लगेl
स्वतंत्रता मिलने पर हम एक स्वतंत्र देश के नागरिक बनने वाले थेl लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि सरकार जो चाहे कर सकती थीl इसका मतलब यह था की अब सरकार को लोगों की ज़रूरतों और माँगों के प्रति संवेदनशील रहना होगाl स्वतंत्रता संघर्ष के सपनो और स्वतंत्र भारत के सपनो और आकांक्षाओ ने स्वतंत्र भारत के संविधान में ठोस रूप से ग्रहण कियाl इस सविधान में सार्वभौमिक व्यसक मताधिकार के सिद्धांत को अपनाया सार्वभौमिक व्यसक मताधिकार का मतलब है कि देश के सभी व्यसक नागरिकों को वोट देने का अधिकार हैl