निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) रुपये (करोड़) में दिया गया है:
वर्ष | प्राथमिक | द्वितीयक | तृतीयक |
1950 | 80,000 | 19,000 | 39,000 |
2000 | 3,14,000 | 2,80,000 | 5,55,000 |
(ख) अध्याय में दिए आरेख-2 के समान एक दण्ड-आरेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
(ग) दंड-आरेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
(क) वर्ष 1950 में कुल जीडीपी = 80,000 + 19,000 + 39,000 = 138,000
वर्ष 1950 में प्राथमिक सेक्टर की हिस्सेदारी = (80,000/138,000) × 100=100 = 57.97%
वर्ष 1950 में द्वितीयक सेक्टर की हिस्सेदारी = (19,000/138,000) × 100 = 13.76%
वर्ष 1950 में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी =(39,000 )/138,000 × 100 = 28.26%
वर्ष 2000 में कुल जीडीपी = 314,000 + 280,000 + 555,000 = 1,149,000
वर्ष 2000 में प्राथमिक सेक्टर की हिस्सेदारी = (314,000/1,149,000) × 100 = 27.32%
वर्ष 2000 में द्वितीयक सेक्टर की हिस्सेदारी = (280,000/1,149,000) × 100 = 24.36%
वर्ष 2000 में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी = (555,000/1,149,000) × 100 = 48.30%
(ख)
(ग) हम उपर्युक्त बार ग्राफ़ से निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं:
(i) 1950 में, प्राथमिक क्षेत्र का योगदान सबसे बड़ा था दूसरे स्थान पर तृतीयक क्षेत्र जबकि माध्यमिक क्षेत्र का योगदान सबसे से कम था।
(ii) 2000 में स्थिति बदल गई थी। तृतीयक क्षेत्र का योगदान अधिकतम था, दूसरा स्थान प्राथमिक क्षेत्र ने बनाए रखा गया जबकि तीसरे स्थान द्वितीयक क्षेत्र का था।