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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026395

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
धूत कहै।, अवधुत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोउ।
कहौ की बेटीसों बेटा न ब्याहब,
काहू की जाति बिगार न सोऊ।।
तुलसी सरनाम गुलामु है राम को,
जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगि कै खैओ, मसीत को सोइयो,
लैबोको एक न देनेको दोऊ।


1.  काव्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
2.  इन पंक्तियों के आधार पर जीवन के प्रति कवि के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
3.  “इस सवैये से झलक रही तुलसी की भीतरी असलियत एक भक्त हृदय की है”-इस कथन पर तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए।



Solution

1. इस काव्यांश में कवि तुलसी की समाज के प्रति उपेक्षा का भाव प्रकट होता है। समाज के लोग उसे चाहे किसी नाम, जाति से पुकारें, उसे कोई अंतर नहीं पड़ता। उसे किसी के साथ वैवाहिक संबंध नहीं जोड़ना। वह तो अपने राम का दास है और फक्कड़ जीवन जीता है।
2. इन पंक्तियों में जीवन के प्रति यह दृष्टिकोण व्यक्त हुआ है कि जीवन को फक्कड़पन से जीना चाहिए। किसी के व्यंग्य-कथन को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। प्रभु की भक्ति करने से जीवन का बेड़ा पार होगा।
3. इस सवैये में तुलसी के भक्त हृदय की झलक मिल जाती है। वह हृदय से राम की भक्ति के प्रति पूर्णत: समर्पित है। उसे अन्य किसी की कोई परवाह नहीं है। वह राम का दास कहलाए जाने में गर्व का अनुभव करता है।

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

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