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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026393

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
तब प्रताप उर राखि प्रभु जैहऊँ नाथ तुरंत।
अस कहि आयसु बाइ पद यदि चलेऊ हनुमंत।।
भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।
मन महूँ जात सराहत पुनि-पुनि पवन कुमार।।

1.   इस काव्याशं का कार्य-विषय क्या है?
2.   अलंकार-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
3.   भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।



Solution

1. इस काव्यांश में हनुमान द्वारा लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाने का वर्णन है।
2. ‘पुनि-पुनि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
    ‘बाहुबल’, ‘पद प्रीति’, ‘मन महुँ’, पुनि-पुनि पवन’ आदि स्थलों पर अनुप्रास अलंकार की छटा है।
3.  ब्रजभाषा की सहज अभिव्यक्ति है।
     ‘पवन कुमार’ हनुमान के लिए प्रयुक्त हुआ है।

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खेती न किसान को, भिखारी न भीख, बलि,

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जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,

कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,

साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।

दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!

दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

इस कवित्त में कवि तुलसी लोगों से क्या कहते हैं?