निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
‘तुलसी’ बुझाई एक राम घनस्याम ही तें,
आगि बड़वागितें बड़ी है आगि पेट की।।
1. पेट की आग किस प्रकार बुझ सकती है?
2. ‘राम घनस्याम’ में किस अलंकार का प्रयोग है?
3. भाषागत सौदंर्य स्पष्ट कीजिए।
1. तुलसीदास कहते हैं कि राम रूपी बादल ही पेट ही आग (भूख) को बुझा सकने में समर्थ हैं।
2. ‘राम घनस्याम’ में रूपक अलंकार है।
3. ‘पेट की आग’ भूख की अभिव्यक्ति है।
ब्रजभाषा का प्रयोग है।
गेयता एवं संगीतात्मकता का गुण है।