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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026388

दिये गये पंक्तियों को पढ़कर सभी प्रश्नों का उत्तर दें:
सो अनुराग कहाँ अब भाई। उठहु न सुनि मम बच बिकलाई। जी जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पिता बचन मनतेउँ नहिं ओहू।। सुत बित नारि भवन परिवारा। होहिं जाहिं जग बारहिं बारा।। अस बिचारि जिये जागहु ताता। मिलइ न जगत सहोदर भ्राता।।

1. ‘सो अनुराग’ कह कर राम कैसे अनुराग की दुर्लभता की ओर संकेत कर रहे हैं? सोदाहरण लिखिए।
2. कौन किससे उठने का आग्रह कर रहा है और क्यों?
3. काव्यांश के अधर पर तम के व्यक्तित्व पर टिप्पणी कीजिए।
4. राम ने भ्रातृ-प्रेम की तुलना में किनको हीन माना है?



Solution

1. ‘सो अनुराग’ कहकर राम भ्रातृ अनुराग की दुर्लभता की ओर संकेत कर रहे हैं। अब उन्हें अपने अनुज लक्ष्मण का पहले जैसा प्रेम नहीं मिल पा रहा है। इसका उदाहरण यह है कि राम व्याकुल हो रहे हैं और भाई लक्ष्मण उठते तक नहीं हैं। (लक्ष्मण मूर्च्छित अवस्था में हैं)
2. राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण से उठने का आग्रह कर रहे हैं। लक्ष्मण मूर्च्छित अवस्था में लेटे हुए हैं। लक्ष्मण की इस मरणासन्न अवस्था ने राम को अव्यधिक व्याकुल बना दिया हैं। राम चाहते है कि लक्ष्मण शीघ्र उठ बैठें।
3. काव्यांश के आधार पर राम के व्यक्तित्व के बारे में कहा जा सकता है कि राम को अपने अनुज के प्रति गहरा स्नेह है। वे भाई के रिश्ते को अन्य सभी रिश्तों से ऊपर मानते हैं। वे पुत्र, धन, पत्नी, मकान, परिवार को उतना महत्त्व नहीं देते जितना भाई को। उनके मन में प्रायश्चित का भाव है तभी तो वे पिता के वचन न मानने तक की बात कह जाते हैं।
4. राम ने भ्रातृ-प्रेम की तुलना में सुत (पुत्र), बित (धन), नारी (पत्नी), भवन (मकान) तथा परिवार को भी हीन माना है। भ्रातृ-प्रेम सर्वोपरि है।

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत।

अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत।।

भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।

मन महूँ जात सराहत पुनि पुनि पवनकुमार।।

कवि और कविता का नाम लिखिए।