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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026386

दिये गये पंक्तियों को पढ़कर सभी प्रश्नों का उत्तर दें:
उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।। अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायऊ।। सकहु न दुखित देखि मोहि काऊ बंधु सदा लव मृदुल सुभाऊ।। मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता।। सो अनुराग कहाँ अब भाई। उठहू न सुनि मम बच बिकलाई।। जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहिं ओहू।।

1. राम क्यों विलाप कर रहे थे? उनकी व्याकुलता क्यों बढ़ गई?
2. मूर्च्छित लक्ष्मण के प्रति राम के वचनों से लक्ष्मण के चरित्र की किन विशेषताओं की जानकारी मिलती है?
3. इसका आशय यह है कि अब वह भाई का प्रेम कहां है?


Solution

1. राम इसलिए विलाप कर रहे थे क्योंकि लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए थे। उनकी व्याकुलता इसलिए बढ़ गई थी क्योंकि आधी रात बीत चुकी थी, पर हनुमान अभी तक औषधि लेकर नहीं लौटे थे।
2. मूर्च्छित लक्ष्मण के प्रति राम के विलापपूर्ण वचनों से लक्ष्मण के चरित्र की इन विशेषताओं का पता चलता है-लक्ष्मण कभी भी राम को दुखी नहीं देख सकते थे। उनका स्वभाव कोमल था। लक्ष्मण ने उनके साथ रहकर गर्मी, सर्दी तथा तूफान को सहा।
3. आशय स्पष्ट कीजिए – ‘सो अनुराग कहाँ अब भाई।’

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

खेती न किसान को, भिखारी न भीख, बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,

कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,

साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।

दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!

दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।

प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।

जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?

तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?

इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

इस कवित्त में कवि तुलसी लोगों से क्या कहते हैं?

तुलसीदास तत्कालीन समाज की परवाह क्यों नहीं करते थे?

तुलसीदास स्वयं को किसका गुलाम मानते हैं?

तुलसीदास अपना जीवन-निर्वाह, किस प्रकार करते हैं?