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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026384

‘किसबी किसान..’ कवित्त का प्रतिपाद्य बताइए।

Solution

इस कवित्त में कवि तुलसी ने तत्कालीन सामाजिक एवं आर्थिक दुरावस्था का यथार्थ चित्रण किया है। उस समय लोगों की आर्थिक दशा इतनी खराब थी कि उन्हें अपना पेट भरना तक कठिन हो गया था। लोग तरह-तरह के करतब दिखाकर तथा भीख माँगकर पेट भरते थे। उन्हें ऊँचे-नीचे धर्म-अधर्म आदि सभी प्रकार के काम करने पड़ते थे। यहाँ तक कि कुछ लोग तो संतान को बेचने तक से नहीं हिचकिचाते थे। उनके पेट की आग तो समुद्र में लगने वाली आग से भी भयंकर प्रतीत होती थी। ऐसे में श्रीराम की कृपा पर ही उन्हें भरोसा रहता था।

Some More Questions From गोस्वामी तुलसीदास Chapter

इन लोगों की क्या दशा है? वे क्या कहते हैं?

पेट की प्याला को शांत करने के लिए लोग कैसे-कैसे काम करने को विवश हो आते हैं?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

खेती न किसान को, भिखारी न भीख, बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,

कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,

साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।

दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!

दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।

प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।

जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?

तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?

इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

इस कवित्त में कवि तुलसी लोगों से क्या कहते हैं?

तुलसीदास तत्कालीन समाज की परवाह क्यों नहीं करते थे?