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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026379

पेट के हि पवन बेटा-बेटकी तुलसी के युग का ही नहीं आज के युग का भी सत्य है। भुखमरी में किसानों की आत्महत्या और संतानों (खासकर बेटियों) को भी बेच डालने की हृदय-विदारक घटनाएँ हमारे देश में घटती रही हैं। इस परिस्थिति और तुलसी के युग की तुलना करें।

Solution

तुलसी के युग में भी बेकारी की समस्या थी और आज भी यह समस्या विकराल रूप धारण किए हुए है। तुलसी के युग में भी आर्थिक तंगी के कारण लोग बेटा-बेटी बेचने जैसा घृणित काम करने को विवश हो जाते थे और आज के युग में भी यह सत्य है। अत्यधिक गरीब और पिछड़े क्षेत्रों में यह स्थिति अभी तक बरकरार है। बंधुआ मजदूरी (बच्चों द्वारा) इसी का एक रूप है। जनजातियों में बेटी बेचने की प्रथा विद्यमान है।

महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु आदि राज्यों में किसानों द्वारा आत्महत्याएँ की गई हैं। तुलसी के समय में भी किसान बेहाल था और आज भी तंगी की हालत में है। दोनों समय में विशेष अंतर नही आया है।

Some More Questions From गोस्वामी तुलसीदास Chapter

तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?

इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

इस कवित्त में कवि तुलसी लोगों से क्या कहते हैं?

तुलसीदास तत्कालीन समाज की परवाह क्यों नहीं करते थे?

तुलसीदास स्वयं को किसका गुलाम मानते हैं?

तुलसीदास अपना जीवन-निर्वाह, किस प्रकार करते हैं?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत।

अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत।।

भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।

मन महूँ जात सराहत पुनि पुनि पवनकुमार।।

कवि और कविता का नाम लिखिए।

हनुमान ने संजीवनी बूटी लाने के विषय में राम से क्या कहा?