शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?
मेघनाद की शक्ति लक्ष्मण की छाती में लगी थी। वे घायल होकर मूर्च्छित हो गए थे। इससे राम बहुत व्याकुल हो गए। उनके करुण विलाप को देखकर अन्य सभी वानर-भालू तथा सैनिक सभी में शोक की लहर दौड़ जाती है। चारों ओर शोकग्रस्त माहौल बन जाता है। इसमें सर्वत्र करुण रस क! संचार हो रहा था।
तभी हनुमान का अवतरण होता है। जाम्बवान (जामवंत) के परामर्श पर लंका के वैद्य सुषेण की बुलाने का निश्चय होता है। हनुमान सुषेण को घर सहित उठा लाते हैं। बाद में सुषेण ने जब पर्वत से एक विशेष औषधि लाने को कहा तब भी हनुमान जड़ी-बूटी वाला पूरा पर्वत ही उखाड़ ले आते हैं जिसमें कहीं मूल की संभावना न रह जाए। इस प्रकार हनुमान के कारनामे वीर रस का आविर्भाव करते हैं। हनुमान के आने तथा उनके कार्यो से करुण रस के बीच वीर रस आ गया और माहौल में कुछ परिवर्तन दिखाई देने लगा। संजीवनी बूटी पिलाए जाने पर लक्ष्मण जीवित हो गए तो समस्त वातावरण में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। शोकपूर्ण वातावरण हर्ष और वीरता में बदल गया।