जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही।।
भाई लक्ष्मण के अभाव में प्रभु राम अपनी दशा की तुलना करते हुए बताते हैं ‘कि जैसे पंख के बिना पक्षी मणि के बिना सर्प, सूँड के बिना हाथी अत्यंत दीन-हीन हो जाते हैं वैसे ही उनका जीवन हो जाएगा। यदि जड़ दैव ने उन्हें जीवित रखा तो उन्हें इस दशा को सहना होगा।