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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026368

पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है-तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।

Solution

पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है-तुलसी का यह काव्य-सत्य समकालीन युग में भी सत्य था और आज भी सत्य है। राम को तुलसी ने घनश्याम कहा है। तुलसी प्रभु की कृपा को पेट की आग शमन के लिए आवश्यक मानते हैं। उनकी दृष्टि में ईश्वर भक्ति एक मेघ के समान है। उनकी कृपा का जल हमें चाहिए।

तुलसी का यह काव्य-सत्य इस समय का युग सत्य तब बन सकता है जब भक्ति के साथ प्रयास भी करें। केवल भक्ति करने से फल की प्राप्ति होने वाली नहीं है। प्रभु की प्रार्थना में भक्ति और पुरुषार्थ दोनों का संगम होना आवश्यक है। केवल भक्ति के बल पर बैठा रहने वाला व्यक्ति निकम्मा हो जाता है। प्रयत्न की भी बड़ी महिमा है।

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत।

अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत।।

भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।

मन महूँ जात सराहत पुनि पुनि पवनकुमार।।

कवि और कविता का नाम लिखिए।