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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026364

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या  करें                                                  

सुनि दसकंधर बचन तब कुंभकरन बिलखान।

जगदंबा हरि आनि अब सठ चाहत कल्यान।।

Solution

प्रसंग: प्रस्तुत काव्याशं ‘रामचरितमानस’ के ‘ललंकाकांड’ से उवत है। मेघनाद की शक्ति लगने से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए थे, पर ललंकाके वैद्य सुषेण के उपचार से वे स्वस्थ भी हो गए। जब रावण को यह समाचार मिला तो उसे बहुत दुःख हुआ क्योंकि उनका सब किया-कराया बेकार चला गया।

व्याख्या: रावण के वचन सुनकर कुंभकर्ण बिलखकर (दु:खी होकर) बोला-अरे मूर्ख! जगत जननी जानकी (माता सीता) को चुराकर (हर कर) अब तू कल्याण चाहता है।

विशेष 1. कुंभकर्ण की स्पष्टवक्तृता पता चलती है।

2. भाषा: अवधी।

3. छंद: दोहा।

Some More Questions From गोस्वामी तुलसीदास Chapter

इन लोगों की क्या दशा है? वे क्या कहते हैं?

पेट की प्याला को शांत करने के लिए लोग कैसे-कैसे काम करने को विवश हो आते हैं?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

खेती न किसान को, भिखारी न भीख, बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,

कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,

साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।

दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!

दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।

प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।

जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?

तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?

इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

इस कवित्त में कवि तुलसी लोगों से क्या कहते हैं?

तुलसीदास तत्कालीन समाज की परवाह क्यों नहीं करते थे?