दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें
प्रभु प्रलाप सुनि कान बिकल भए बानर निकर।
आइ गयउ हनुमान जिमि कसना महँ वीर रस।।
प्रसगं: लक्ष्मण की मूर्च्छित दशा को देखकर राम विलाप करते हैं।
याख्या: प्रभु राम के विलाप को कानों से सुनकर वानरों के समूह व्याकुल हो गए। इतने में हनुमान जी आ गए। ऐसा लगा जैसे करुण रस के प्रसंग में वीर रस का प्रसंग आ गया हो।
विशेष: 1. ‘प्रभु प्रलाप’ में अनुप्रास अलंकार है।
2. भाषा: अवधी।
3. छंद: सोरठा।