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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026347

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या  करें 

प्रभु प्रलाप सुनि कान बिकल भए बानर निकर।

आइ गयउ हनुमान जिमि कसना महँ वीर रस।।

Solution

प्रसगं: लक्ष्मण की मूर्च्छित दशा को देखकर राम विलाप करते हैं।

याख्या: प्रभु राम के विलाप को कानों से सुनकर वानरों के समूह व्याकुल हो गए। इतने में हनुमान जी आ गए। ऐसा लगा जैसे करुण रस के प्रसंग में वीर रस का प्रसंग आ गया हो।

विशेष: 1. ‘प्रभु प्रलाप’ में अनुप्रास अलंकार है।

2. भाषा: अवधी।

3. छंद: सोरठा।

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

धूत कहौ, अवधूत कहा,

(CBSE 2008 Outside)

रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।

काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,

काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।

तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,

जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।

माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,

लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।

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दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत।

अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत।।

भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।

मन महूँ जात सराहत पुनि पुनि पवनकुमार।।