पठित कविताओं से उदाहरण देते हुए मुक्तिबोध की काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
मुक्तिबोध की काव्यगत विशेषताएँ-
1. सशक्त लेखन: मुक्तिबोध का कवि व्यक्तित्व जटिल है। उनकी कविताओं में संवेदना के संश्लिष्ट रूप दृष्टिगोचर होते हैं। मुक्तिबोध की कविताओं में संपूर्ण परिवेश के बीच स्वयं को खोजना और पाना ही नहीं, अपितु संपूर्ण परिवेश के साथ अपने को बदलने की प्रक्रिया का भी चित्रण है। मुक्तिबोध अपने काव्य-कर्म के प्रति ईमानदार रहे हैं।
2. विशिष्ट काव्य-शिल्प: मुक्तिबोध ने अपनी संवेदना और ज्ञान के अनुसार एक विशिष्ट काव्य-शिल्प का निर्माण किया है। फैंटेसी का सार्थक उपयोग मुक्तिबोध की कविताओं में ही देखने को मिलता है।
3. छोटे-छोटे वाक्यांश: मुक्तिबोध ने अपने काव्य में छोटे-छोटे वाक्यांशों का प्रयोग कर अपने कथ्य को प्रभावशाली बना दिया है। जैसे-
सहर्ष स्वीकारा है
संवेदन तुम्हारा है
4. छंद रहित कविता: मुक्तिबोध ने अपनी कविता को छंदों के बंधन में नहीं बाँधा है। उनके काव्य में भावों का सहज प्रयोग है। अत: वे उसे छंदमुक्त रूप में ही प्रस्तुत करते हैं। जैसे- ममता के बादल की मँडराती कोमलता-भीतर पिराती है।
5. विचारों का आवेग: मुक्तिबोध जी अपने विचारों को तीव्रता के साथ प्रकट करते हैं, इसमें व्यंग्य की झलक भी दृष्टिगोचर होती है।
6. सहज सरल भाषा-शैली: मुक्तिबोध की कविता में विचार तत्त्व की प्रधानता है और उसी के अनुरूप शब्द चयन भी अनोखा है।
7. अलंकार विधान: मुक्तिबोध की कविता अलंकार युक्त है। उन्होंने सर्वथा नवीन उपमानों का प्रयोग किया है।
उदाहरणार्थ-
उत्प्रेक्षा: मुसकाता चाँद क्यों धरती पर
अनुप्रास: गरवीली गरीबी।