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गजानन माधव मुक्तिबोध

Question
CBSEENHN12026208

‘सहर्ष स्वीकारा है’ के कवि ने जिस चाँदनी को स्वयं सहर्ष स्वीकारा था, उससे मुक्ति पाने के लिए वह अंग-अंग में अमावस की चाह क्यों कर रहा है?

Solution

कवि ने जिस चाँदनी (प्रिय को) स्वयं स्वीकार किया था, अब उससे मुक्ति पाना चाहता है। इसका कारण यह है कि कवि अपनी अतिशय भावुकता और संवेदनशीलता से तंग आ चुका है - वह हर जगह पिघल जाता है - अपनी इस अति कोमलता से छुटकारा पाने के लिए एक ओर अंधकारमयी विस्मृति में खो जाने का दंड पाना चाहता है। कवि का हृदय अपराध-बोध से ग्रसित हो जाता है। वह अपनी प्रिय को विस्मृत करने की भूल का दंड भी प्रिय से ही चाहता है क्योंकि यह उसका अपनी प्रेयसी के निश्छल प्रेम के प्रति विश्वासघात था। वह अपने अपराध का दडदंडुगतने के लिए घोर अंधकारमयी विस्मृति में खो जाना चाहता है। उसकी आत्मा और संकल्प शक्ति भी बहुत कमजोर हो चुकी है।

Some More Questions From गजानन माधव मुक्तिबोध Chapter

इन पर किसकी संवेदना का प्रभाव है?

इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?

ऊपर कौन है?

कवि किससे प्रभावित है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

सचमुच मुझे दंड दो कि

भूलूँ मैं

प्ले मैं

तुम्हें भूल जाने की

दक्षिण ध्रुवि अंधकार अमावस्या

शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पालूँ मैं

झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं

इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित

रहने का रमणीय यह उजेला अब

सहा नहीं जाता है।

नहीं सहा जाता है।

कवि अपने लिए किस प्रकार का दंड चाहता है?

कवि अपने जीवन में क्या चाहता है और क्यों?

कवि क्या चाहता है?