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गजानन माधव मुक्तिबोध

Question
CBSEENHN12026179

प्रस्तुत काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

ममता के बादल की मँडराती कोमलता-

भीतर पिराती है

कमजोर और अक्षम अब हो गई है आत्मा यह

छटपटाती छाती को भवितव्यता डराती है

बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती।

Solution

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ मुक्तिबोध की कविता ‘सहर्ष स्वीकार है’ से अवतरित हैं। इसमें कवि सुख-दुःख की समस्त स्थितियों को इसलिए स्वीकार कर लेता है क्योंकि वह इन सबका सबंध अपने प्रिय के साथ जुड़ा पाता है। हर परिस्थिति को उसी की देन मानता है। कवि भवितव्यता (होनी) से व्यथित होकर कहता है-

व्याख्या: हे प्रिय! तुम जो ममता के बादल मुझ पर बरसाती हो, उसकी कोमलता मेरे मन को अंदर-ही-अंदर पीड़ा पहुँचाती है। मेरी अंतर्रात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है। जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है मेरी छाती दु:ख से छटपटाने लगती है और भीषण भविष्य की कल्पना से मन काँपने लगता है। तुम्हारा यह अपनत्व भरा बहलाना-सहलाना भी मेरे अपराधग्रस्त मन से सहन नहीं हो पाता। मेरी आत्मा मुझे धिक्कारने लगती है।

भाव यह है कि तुम्हें भूल जाने के अपराध बोध ने मेरी आत्मा को अत्यंत कमजोर बना दिया है। भविष्य के भीषण परिणाम की आशका से मेरी छाती में छटपटाहट होने लगती है। अब मेरा मन तुम्हारे आत्मीय व्यवहार को भी सहन नहीं कर पाता है। प्रिय का आत्मीय व्यवहार कवि को आत्मग्लानि से भर देता है।

Some More Questions From गजानन माधव मुक्तिबोध Chapter

इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?

ऊपर कौन है?

कवि किससे प्रभावित है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

सचमुच मुझे दंड दो कि

भूलूँ मैं

प्ले मैं

तुम्हें भूल जाने की

दक्षिण ध्रुवि अंधकार अमावस्या

शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पालूँ मैं

झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं

इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित

रहने का रमणीय यह उजेला अब

सहा नहीं जाता है।

नहीं सहा जाता है।

कवि अपने लिए किस प्रकार का दंड चाहता है?

कवि अपने जीवन में क्या चाहता है और क्यों?

कवि क्या चाहता है?

सहा नहीं जाता है, नहीं सहा जाता है।

- कवि से क्या नहीं सहा जाता है?