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मीरा

Question
CBSEENHN11012202

‘मेरे तो गिरधर गोपाल’ पद का सार अपने शब्दों में लिखिए।

Solution

यह पद कृष्ण भक्त कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। इस पद में मीराबाई कहती है कि श्रीकृष्ण के अतिरिक्त उनका कोई दूसरा आराध्य देव नहीं है। केवल श्रीकृष्ण ही मेरे प्राणाधार हैं। जिस श्रीकृष्ण के सिर पर मोर-मुकुट बँधा हुआ है, श्रीकृष्ण का वही रूप मेरा पति है अर्थात् मोर मुकुट धारण किए हुए श्रीकृष्ण ही मेरा पति है। उस श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए मैंने अपने कुल की परम्पराओं को छोड़ दिया। अब मेरा कोई क्या कर सकता है। मैंने साधु --संतों के पास बैठ-बैठकर अपनी लोक-लज्जा का भी परित्याग कर दिया है। मैंने श्रीकृष्णा के प्रति प्रेम की बेल को बो दिया है और उसे आँसुओं के जल से सींच-सींचकर विकसित किया है। भाव यह है कि श्रीकृष्ण के वियोग की पीड़ा को सहन करते हुए मैंने निरंतर आँसू बहाते हुए अपनी उस प्रेम बेल को पोषित किया है। अपने इस प्रयत्न की सार्थकता बताते हुए मीरा कहती है कि अब तो वह प्रेम रूपी बेल फैल गई है और उसमें आनंद रूपी फल भी फलने लगे हैं। मैं भक्ति भावना को देखकर प्रसन्न होती हूँ और लोग सांसारिकता की विषय भोगों की बात करते हैं तो मैं रोती हूँ। वह ईश्वर से प्रार्थना करती हुई कहती हैं कि हे गिरिधर लाल या गिरिधारी लाल मैं तो तुम्हारी दासी हो गई हूँ अब तुम्हीं मेरा उद्धार करो या मुझे भवसागर पार कराओ।