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यशपाल-लखनवी अन्दाज़

Question
CBSEENHN10002343

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए। हमें तसलीम में सिर खम कर लेना पड़ा-यह है खानदानी तहज़ीब, नफासत और नजाकत!
हम गौर कर रहे थे, खीरा इस्तेमाल करने के इस तरीके को खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से संतुष्ट होने का सूक्ष्म, नफीस या एब्स्ट्रैक्ट तरीका जरूर कहा जा सकता है परंतु क्या ऐसे तरीके से उदर की तृप्ति भी हो सकती है?
नवाब साहब की ओर से भरे पेट के ऊँचे डकार का शब्द सुनाई दिया और नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कह दिया, ‘खीरा लज़ीज़ होता है लेकिन होता है सकील, नामुराद मेदे पर बोझ डाल देता है।’

नवाब साहब ने खीरा खाने की तैयारी कैसे की?

Solution
नवाब साहब ने खीरों के नीचे रखा तौलिया झाड़कर अपने सामने बिछा लिया। सीट के नीचे से पानी का लोटा निकाल कर खीरों को खिड़की से बाहर धोया और तौलिए से पोंछ लिया। जेब से चाकू निकाल कर दोनों खीरों के सिर काटकर उन्हें गोदकर उनका झाग निकाला। खीरों को सावधानी से छीलकर उनकी फाँकों को तौलिए पर सजाते गए और उन पर जीरा मिला नमक और लाल मिर्च छिड़क दी।

Some More Questions From यशपाल-लखनवी अन्दाज़ Chapter

लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में यात्रा क्यों कर रहा था?

लेखक ने नबाब की असुविधा और संकोच के लिए क्या अनुमान लगाया?

लेखक को खीरे खाने से इंकार करने पर अफसोस क्यों हो रहा था?

लेखक के सामने नवाब साहब ने खीरा खाने का कौन-सा खानदानी रईसी तरीका अपनाया?

लेखक के किस बात से ज्ञान चक्षु खुल गए थे?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मूफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फुँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए सेकंड क्लास का ही ले लिया।

कौन-सी ट्रेन चलने के लिए उतावली हो रही थी?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मूफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फुँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए सेकंड क्लास का ही ले लिया।

गाड़ी जाने के लिए क्या कर रही थी?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मूफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फुँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए सेकंड क्लास का ही ले लिया।

‘मूफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन’ से आशय है-

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मूफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फुँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए सेकंड क्लास का ही ले लिया।

यात्रा के लिए किस श्रेणी का टिकट लिया गया था?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मूफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फुँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए सेकंड क्लास का ही ले लिया।

सेकंड क्लास का टिकट किस लिए लिया गया था?