Question
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
नबाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फाँकों की ओर देखा। खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ निश्वास लिया। खीरे की एक फाँक उठाकर होंठों तक ले गए। फाँक को सूँघा। स्वाद के आनंद में पलकें मुँद गईं। मुँह में भर आए पानी का घूँट गले से उतर गया। तब नवाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया। नबाब साहब खीरे की फाँकों को नाक के पास ले जाकर, वासना से रसास्वादन कर खिड़की के बार फेंकते गए।
नवाब साहब ने खीरे का कैसे आनंद लिया?
Solution
नवाब साहब ने खीरे का आनंद खीरे की फाँकों को खा कर नहीं लिया बल्कि उन फाँकों को नाक के पास ले जाकर तथा सूँघकर आनंद लिया। सूँघने के बाद वे खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकते रहे।