‘ग्लोबल वार्मिंग’ के कारण ऋतुओं में क्या परिवर्तन आ रहे हैं? इस समस्या से निपटने के लिए आपकी क्या भूमिका हो सकती है?
विश्व भर में उद्योग-धंधों को बड़ी तेजी से स्थापित किया जा रहा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद हर देश नए-नए उद्योग स्थापित करके आर्थिक उन्नति की ओर तेजी से कदम बढ़ाने का प्रयत्न कर रहा है। ऊर्जा की उत्पत्ति के लिए वे जीवाश्मी ईंधन को जलाते हैं। कोयला और पेट्रोल भूमि के गर्भ से निकाल-निकाल कर दिन-रात जलाया जा रहा है। जिससे लोगों को सुख-सुविधाएँ तो अवश्य प्राप्त हो रही हैं पर साथ ही साथ कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैसों की मात्रा वायुमंडल में बढ़ती जा रही है। ये दोनों गैसें वायु के तापमान को तेजी से बढ़ा रही हैं। इसे ही ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। इस तापमान वृद्धि का परिणाम यह हो रहा है कि ध्रुवों पर जमी बर्फ़ की परत पिघलने लगी है। जिस ग्लेशियर से गंगा नदी निकलती है, वह तेजी से पिघलने लगा है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि आने वाले समय में धरती के वातावरण का तापमान बढ़ने के साथ-साथ जल-स्रोतों में कमी आने लगेगी। ‘ग्लोबल वार्मिग’ अर्थात् ‘वैश्विक तापन’ पूरी पृथ्वी के लिए खतरे की घंटी है जो सारे संसार के भविष्य के लिए अति खतरनाक सिद्ध होगी। इससे समुंदरों का तल बढ़ने लगेगा। इसके परिणामस्वरूप समुंदरों के तटों पर नगर डूबने लगेंगे। समुद्री द्वीप पूरी तरह समुद्र की गहराई में समा जाएंगे।
ग्लोबल वार्मिग की समस्या से निपटने के लिए कोई एक व्यक्ति या कोई एक देश कुछ नहीं कर सकता। इस समस्या से निपटने के लिए विश्व भर के देशों को एक साथ मिलकर प्रयत्न करना होगा। हमें ऐसी नीतियां बनानी और कठोरता से लागू करनी होंगी कि कोयले और पेट्रोल के दहन को नियंत्रित किया जाए। सौर ऊर्जा, जलीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, सागरीय ऊर्जा आदि का अधिक-से-अधिक प्रयोग किया जाए ताकि हवा में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैसें न बड़े। वाहनों के लिए सौर ऊर्जा या विद्युत् का प्रयोग किया जाए।
इस समस्या से निपटने के लिए हमारी भूमिका यह हो सकती है कि हम योजना बद्ध तरीके से जन जागृति में सहायक बनें। जिन लोगों को इस समस्या का अभी पता नहीं है, उन्हें सचेत करें। अपने स्कूल में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करें जिनसे बच्चे-बच्चे को इस समस्या की जानकारी मिले। आज का बच्चा ही आने वाले कल के उद्योगपति और नेता होंगे। उचित जानकारी होने पर वे इस समस्या पर नियंत्रण पा सकेंगे।