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देव - सवैया

Question
CBSEENHN10001567

आप अपने घर की छत से पूर्णिमा की रात देखिए तथा उसके सौंदर्य को अपनी कलम से शब्दबद्ध कीजिए।

Solution
मेरा घर यमुना-किनारे से कुछ ही दूरी पर है जिस के दोनों किनारे हरे-भरे पेड़ों और सरकंडों और झाड़ियों से भरे रहते हैं। पूर्णिमा की रात को सारा आकाश तो चाँदनी से जगमगाता ही है पर यमुना नदी का पानी भी उससे जगमाता-सा प्रतीत होता है। जब पानी की लहरें तेजी से आगे बढ़ती है तो चाँद के चमकीले टुकड़े-दुकड़े से उन पर सवार उछलते-कूदते-से प्रतीत होते हैं। अंधेरी रातों में प्राय: न दिखाई देने वाले पेड़ चाँदनी में अपना काला रूप लिए दिखाए देते हैं। वे सुंदर नहीं लगते। वे कुछ-कुछ डरावने से प्रतीत होते हैं। चाँदनी रात में कोई- कोई नौका यमुना में तैरती और आगे बढ़ती बहुत सुंदर लगती है।

Some More Questions From देव - सवैया Chapter

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

कवि ने किस की जय-जयकार की है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

श्री कृष्ण के माथे की शोभा किस से बड़ी है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

कवि ने किस रूपक के माध्यम से श्रीकृष्ण से अपनी दया बनाए रखने की प्रार्थना की है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

पद में किस भाषा का प्रयोग किया गया है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

कवि ने किस प्रकार के शब्दों का समन्वित प्रयोग किया है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

कवि ने सामंती वैभव के आधार पर किस का सौंदर्य चित्रण किया है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

किस शब्द में रूपकात्मकता और प्रतीकात्मकता का प्रयोग किया है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

सवैया में बिंब किस प्रकार है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

किस छंद का प्रयोग किया है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

लयात्मकता की सृष्टि किस प्रकार हुई है?