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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001432

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
       ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।

उद्धव के व्यवहार की तुलना किस के साथ की गई है?

Solution

उद्धव के व्यवहार की तुलना पानी में पड़े कमल के पत्ते और जल में पड़ी रहने वाली तेल से भरी गगरी से की गई है।

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