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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001462

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये 
हमारैं हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।
सु तौ व्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करो।
यह तो ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपो, जिन के मन चकरी।।

उपर्युक्त पद का भाव स्पष्ट कीजिए।

Solution
गोपियों के हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति गहरा प्रेम-भाव था। उनका हृदय दृढ़ और स्थिर था। श्रीकृष्ण के प्रति चित्त-वृत्ति होने के कारण उन्हें योग का संदेश व्यर्थ लगता था।

Some More Questions From सूरदास - पद Chapter

गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेशों ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?

गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

गोपियों ने अपने वाक्‌चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्‌चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?

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