Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।
पद में प्रयुक्त अलंकार लिखिए।
Solution
अनुप्रास -• तन मन
• मन की मन ही माँझ
• चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं
• सँदेसीन मुनि-मुनि बिरधिनि बिरह दही
• धीर धरहिं।
रूपकातिशयोक्ति-उत तैं धार बही।
पुनरुक्ति प्रकाश-सुनि--सुनि।