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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001442

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
         मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।।

गोपियों अब तक विरह-वियोग को किस आधार पर सहती आ रही थीं?

Solution
गोपियां अब तक विरह-वियोग को इस आधार पर सहती आ रही थीं कि यदि वे श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं तो श्रीकृष्ण भी उन से उतना ही प्रेम करते थे। परिस्थितियों के कारण उन्हें अलग होना पड़ा था। वे श्रीकृष्ण के प्रेम के आधार पर विरह वियोग सहती आ रही थीं।

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