Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।।
गोपियों अब किस के पास जाने का साहस नहीं कर सकतीं? क्यों?
Solution
गोपियां अब श्रीकृष्ण के पास जा कर अपनी वियोग से उत्पन्न पीड़ा को कहने का साहस नहीं कर सकती थीं। गोपियों को पहले तो विश्वास था कि श्रीकृष्ण जब कभी मिलेंगे तब वे उन्हें अपनी पीड़ा सुनाएंगी लेकिन अब तो श्रीकृष्ण ने स्वयं उद्धव से निर्गुण भक्ति का ज्ञान उन्हें संदेश रूप में भेज दिया था।