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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001441

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
         मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।।

गोपियों अब किस के पास जाने का साहस नहीं कर सकतीं? क्यों?

Solution
गोपियां अब श्रीकृष्ण के पास जा कर अपनी वियोग से उत्पन्न पीड़ा को कहने का साहस नहीं कर सकती थीं। गोपियों को पहले तो विश्वास था कि श्रीकृष्ण जब कभी मिलेंगे तब वे उन्हें अपनी पीड़ा सुनाएंगी लेकिन अब तो श्रीकृष्ण ने स्वयं उद्धव से निर्गुण भक्ति का ज्ञान उन्हें संदेश रूप में भेज दिया था।

Some More Questions From सूरदास - पद Chapter

उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?

गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेशों ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?

गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

गोपियों ने अपने वाक्‌चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्‌चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?