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थोड़ी धरती पाऊँ
(क) कवि बाग-बगीचा क्यों लगाना चाहता है?
(ख) कविता में कवि की क्या विनती है?
(ग) कवि क्यों कह रहा है कि
‘आज सभ्यता वहशी बन,पेड़ों को काट रही है?’
इस पर अपने विचार लिखो।
(घ) कविता की इस पंक्ति पर ध्यान दो-
“बच्चे और पेड़ दुनिया को हरा-भरा रखते हैं।”
अब तुम यह बताओ कि पेड़ों और बच्चों में क्या कुछ समानता है? उसे अपने ढंग से लिखो।
(क) कवि बाग-बगीचा इसलिए लगाना चाहता है क्योंकि बाग-बगीचा लगवाकर वह अपने आसपास हरियाली भर देना चाहता है। कवि के अनुसार मनुष्य ने इमारतें बनाने के लिए वृक्षों की अंधाधुंध कटाई करवाई है। उसने चारों ओर इमारतों के जंगल खड़े कर दिए हैं। अब हालात यह हैं कि बाग-बगीचे लगवाने तक की जमीन शेष नहीं रही है। अतः कवि इन्हें लगवाकर वृक्षों को उगाना चाहता है और हरियाली भरा वातावरण कायम करना चाहता है।
(ख) कविता में कवि की लोगों से विनती है कि पेड़ों को कभी न काटें और यदि कोई काटने का प्रयास करे तो उसे पेड़ काटने न दें।
(ग) कवि ऐसा इसलिए कह रहा है क्योंकि आज की मानव सभ्यता अपने स्वार्थ के लिए अंधाधुंध वृक्षों की कटाई कर रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि चारों प्रदूषण विद्यमान है और पृथ्वी वृक्षों से रहित हो रही है। वृक्षों की कटाई वहशीपने की सारी हदें पार कर चुकी है। ग्लोबल वार्मिंग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस वहशीपने से हम स्वयं का नुकसान कर रहे हैं।
(घ) बच्चों और पेड़ों में बहुत प्रकार की समानता विद्यमान हैं। जहाँ पेड़ रहते हैं, उस स्थान का सौंदर्य अलग ही होता है। बच्चे भी जहाँ रहते हैं वहाँ रौनक विद्यमान रहती है। उनकी मुस्कुराहट जीवन को खुशियों से भर देती है। पेड़ हरियाली ही नहीं देते बल्कि वे ठंडक, फल तथा फूलों भी देते हैं। इसी तरह बच्चे जीवन में प्रेम, सुख और सौंदर्य भर देते हैं।
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