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थोड़ी धरती पाऊँ
नीचे एक लकड़हारे और एक बच्ची की बातचीत दी गई है। इसे अपनी समझ से पूरा करो।
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बच्चा- ओ भैया! आप इस पेड़ को क्यों काट रहे हो? लकड़हारा- यह तो मेरा काम है। बच्ची – पर यह तो गलत है। लकड़हारा- यह कैसे गलत है? इसी से तो मेरे परिवार का भरण-पोषण होता है। |
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बच्ची……………………………………………………………………………………………………………………… लकड़हारा ………………………………………………………………………………………………………………..
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बच्ची- काका इसके स्थान पर और भी तो काम कर सकते हो। आप नहीं जानते आपके इस व्यवसाय के कारण पृथ्वी तथा पूरी मानव जाति को कितने नुकसान उठाने पड़ रहे हैं।
लकड़हारा- मैं समझा नहीं कि मेरे पेड़ काटने से किसे नुकसान पहुँच रहा है।
बच्ची- देखिए काका जब आप पेड़ काटते हैं, तो हमारे वातावरण और पृथ्वी को बहुत नुकसान होता है। पेड़ काटने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती है। पेड़ मिट्टी को बांधे रखते हैं। इसलिए पानी के बहाव में मिट्टी का नुकसान नहीं होता है। लेकिन यदि पेड़ ही काट दिए जाएं, तो बाढ़ आने पर मिट्टी बह जाती है। इससे खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी नहीं मिलती। पेड़ हवा को शुद्ध करते हैं। वे कार्बनडाइ ऑक्साइड लेकर जीवनदायनी ऑक्सीजन देते हैं तथा प्रकृति के संतुलन को बनाकर रखते हैं। पेड़ों के समाप्त होने से एक दिन हम भी समाप्त हो जाएँगे।
लकड़हारा- (हैरानी से) हमें तो इस बारे मैं कुछ जानकारी नहीं थी। बिटिया अब मैं पेड़ नहीं काटूँगा और जो पेड़ काटे हैं, उनके स्थान पर नए पेड़ लाऊँगा। मैं आज ही प्रण लेता हूँ कि पेड़ों की रक्षा के लिए सदैव सजग रहूँगा।
बच्ची- (प्रसन्नतापूर्वक)- धन्यवाद काका! यदि सभी आपके जैसे सोचने लग जाए, तो हमारी पृथ्वी सदैव हरियाली से भरी रहेगी और इसके साथ ही मानव सभ्यता भी फलेगी।
Some More Questions From थोड़ी धरती पाऊँ Chapter
जंगल, पेड़-पौधों और प्रकृति से संबंधित कुछ कविताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करो। “जंगल” शीर्षक से दी गई कविता को पढ़ो और अपने दोस्तों को सुनाओ।
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