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चिड़िया की बच्ची
माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
यहाँ माधवदास और चिड़िया के मनोभाव एक दूसरे से विपरीत हैं। एक तरफ माधवदास के लिए धन-संपत्ति, सुख-सुविधा ही जीवन के अमुल्य तत्व हैं। परन्तु दूसरी ओर चिड़िया के लिए ये सभी सुख सुविधाएँ व्यर्थ थी। चिड़िया को केवल अपनी माँ से लगाव था। माँ की गोद ही उसके लिए दुनिया में सबसे अधिक मूल्यवान सुख था। उसे सोने-चाँदी, हीरे-मोती की तुलना में अपने माँ का स्नेह अधिक प्यारा था। अर्थात् चिड़िया की खुशी भौतिक सुखों से अलग भावनात्मक सुखों में है। परन्तु माधवदास के लिए धन दौलत ही सर्वोपरि है। उसके सामने भावनाएँ मूल्यहीन हैं।
Some More Questions From चिड़िया की बच्ची Chapter
पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिंदी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुशकरना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिंदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।
सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-‘स्वाधीनता’ या ‘प्रलोभनोंवाली पराधीनता’? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें-
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।
आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँ! अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अद्भुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दों में लिखिए।
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