डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है - पाठ के आधार पर तर्क-सहित उत्तर दीजिये।
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। यह बात हमें लेखिका की माता द्वारा चोर के पकड़े जाने पर उसके साथ किए गए व्यवहार से पता चलता है। चोर के पकड़े जाने पर लेखिका की माँ ने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि उससे सेवा ली और अपना पुत्र बना लिया। उसके पकड़े जाने पर उसने उसे उपदेश भी नहीं दिया। उसने इतना ही कहा - अब तुम्हारी मर्जी - चाहे चोरी करो या खेती। उसकी इस सहज भावना से चोर का ह्रदय परिवर्तित हो गया। उसने सदा के लिए चोरी छोड़ दी और खेती को अपना लिया। यदि शायद वे चोर के साथ बुरा बर्ताव या मारपीट करती तो चोर सुधरने के बजाए और भी गलत रास्ते पर चल पड़ता । इस पाठ से स्पष्ट है कि मनुष्य के पास सबसे प्रभावी अस्त्र है - अपना दृढ़ विशवास और सहज व्यवहार। यदि कोई सगा-संबंधी गलत राह पर हो तो उसे डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से व्यवहार करना चाहिए।