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अंतिम दौर-एक
तिलक और गोखले आक्रामक व अवज्ञाकारी विचारधारा वाले थे। वे गरम दल के प्रभावी आंदोलनकारी थे। वे सरकार से प्रार्थना करके नहीं बल्कि अपने अधिकार छीन लेने के पक्ष में थे। भारतीय जनता का एक बड़ा भाग उनके समर्थन में था। सरकार भी इनकी हिंसक कार्यविधियों से घबराती थी।
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