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अंतिम दौर-एक
स्वामी विवेकानंद भारत के महान समाज-सुधारक थे। व धर्म ज्ञान में विशेष स्थान रखते हैं। व भारत की विरासत पर गर्व करते थे। उन्होंने भारत के अतीत और वर्तमान के बीच सेतु का कार्य किया व जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण आधुनिक था। वे बंगला और अंग्रेज़ी के ओजस्वी वक्ता के साथ-साथ महान लेखक भी थे। वे रोबीले, शालीन और गरिमावान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। उदास और पतित हिंदुओं के सहायक थे। 1893 में उन्होंने शिकागो में अंतररष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में भाग लिया, विदेशी भी उनके विचारों का सम्मान करते थे। उन्होंने एकेश्वरवाद का उपदेश दिया। वे वेद-उपनिषदों के ज्ञाता थे। धार्मिक कर्म-कांडों व अंधविश्वासों को मानने की उन्होंने घोर निंदा की। अपनै विचारों के कारण ही वे पूरे भारत में प्रसिद्ध हुए।
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