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नयी समस्याएँ
’अछूत रहीम खानखाना’ अकबर दरबार के अमीरों। में से थे। ये अरबी, फारसी व संस्कृत तीनों भाषाओं के ज्ञाता थे। हिंदी कविताओं में भी ऊँचा स्तर रखते थे। उनके लिखे दोहे वर्तमान में भी ख्याति पाते हैं। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे स्वतंत्र-भाव से लिखते थे। मेवाड़ का राणा प्रताप जो सदा अकबर के खिलाफ़ रहे, उन्होंने मुगल साम्राज्य के समक्ष कभी हथियार न डाले, रहीम ने उनकी प्रशंसा में भी लिखा।
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