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नयी समस्याएँ
पंद्रहवीं शताब्दी में दक्षिण में रामानंद व उनके शिष्य कबीर हुए। जिन्होंने अपने पदों व साखियों के द्वारा लोगों को धार्मिक बंधनों व रूढ़िवादिता से दूर करने का प्रयत्न किया। इनके काव्य की भाषा बोलचाल की भाषा थी जो आम आदमी भी आसानी से समझ सके। उत्तर में गुरुनानक ने अपने विचारों से लोगों को सही मार्ग पर लाने का प्रयास किया। आज भी कबीर व नानक के उपदेश मनुष्य के जीवन में सार्थक सिद्ध होते हैं।
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