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युगों का दौर
खगोलशास्त्र अर्थात् ब्रह्मांड के ग्रहों वे पूरे वातावरण की स्थिति का ज्ञान प्राप्त करना ही खगोलशास्त्र था। भारतीय खगोलशास्त्रियाँ ने इसमें पूर्व सफलता हासिल की थी। फलित ज्योतिष को भी इसका अंग माना जा चुका था। इसी के आधार पर निश्चित पंचांग तैयार किए जाते थे। ये पंचांग समुद्री यात्रा करने वाले व्यापारियों हेतु उपयोगी सिद्ध होते थे।
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