टोपी

Question
CBSEENHN8001289

नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
धुनिया बेचारा बूढ़ा था। जाड़े का मौसम था। उसके तन पर वर्षों पुरानी तार-तार हो चुकी एक मिर्जई पड़ी हुई थी। वह काँपते हुए बोला, “तू जाती है कि नहीं! देखती नहीं, अभी मुझे राजा जी के लिए रजाई बनानी है। एक तो यहां का राजा ऐसा है जो चाम का दाम चलाता है। ऊपर से तू आ गई फोकट की रुई धुनवाने।” 

धुनिए ने उसे जाने के लिए क्यों कहा?
  • क्योंकि उसके पास समय नहीं था।
  • क्योंकि वह राजा की रजाई बना रहा था।
  • क्योंकि उसे गवरइया की बात समझ नहीं आई।
  • क्योंकि उसे गवरइया का टोपी पहनना व्यर्थ लगा।

Solution

B.

क्योंकि वह राजा की रजाई बना रहा था।

Some More Questions From टोपी Chapter

चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा बागा चुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?

गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरेया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे-मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार-मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होनेवाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे- टेम-टाइम टेसन/टिसन-स्टेशन।

मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे-कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।

गवरा और गवरइया परम-संगी रथे-कैसे?

गवरइया ने गवरा को आदमी के बारे में क्या कहा?

गवरा ने आदमी के कपड़े पहनने को गलत क्यों ठहराया?

गवरइया की टोपी कैसे बनी?

गवरइया के टोपी बनाने हेतु धुनिए, कोरी, बुनकर दरज़ी को क्या मज़बूरी दी?

टोपी पहनते ही गवरइया के मन में क्या इच्छा जागी?

राजा को शर्म महसूस क्यों हुई?