नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- ”तू समझती नहीं।” गवरा हँसकर बोला. “कपड़े पहन-पहनकर जाड़ा-गरमी-बरसात सहने की उनकी सकत भी जाती रही है। ... और इस कपड़े में बड़ा लफड़ा भी है। कपड़ा पहनते ही पहननेवाले की औकात पता चल जाती हैं ... आदमी-आदमी की हैसियत में भेद पैदा हो जाता है।”
गवरा ने कपड़े पहनने के बारे में क्या कहा?
मनुष्य सुंदर नहीं लगता।
मनुष्य अपना वास्तविक अस्तित्व खो देता है।
मनुष्य सर्दी, गर्मी और बरसात की ऋतु के प्रभाव को सहने की शक्ति खो देता है।
इनमें से कोई नहीं।
Solution
Multi-choise Question
C.
मनुष्य सर्दी, गर्मी और बरसात की ऋतु के प्रभाव को सहने की शक्ति खो देता है।