Question
नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
मेरी ज़िंदगी भी खूब रही भाई, जी भरकर उसे भीगा है। जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भीगा हो। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ। तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।
साँप उड़ने में असमर्थ क्यों है?
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उसकी गुफा में बाहर जाने का रास्ता ही न था।
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न तौ उसके मन में उड़ने की चाह थी और न उसे ईश्वर ने पंख दिए थे।
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साँप को नदी के जल से डर लगता था।
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साँप में गुफा से बाहर जाने की शक्ति न थी।
Solution
B.
न तौ उसके मन में उड़ने की चाह थी और न उसे ईश्वर ने पंख दिए थे।