बाज और साँप

Question
CBSEENHN8001216

नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
मेरी ज़िंदगी भी खूब रही भाई, जी भरकर उसे भीगा है। जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भीगा हो। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ। तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।

साँप उड़ने में असमर्थ क्यों है?
  • उसकी गुफा में बाहर जाने का रास्ता ही न था।
  • न तौ उसके मन में उड़ने की चाह थी और न उसे ईश्वर ने पंख दिए थे।
  • साँप को नदी के जल से डर लगता था।
  • साँप में गुफा से बाहर जाने की शक्ति न थी।

Solution

B.

न तौ उसके मन में उड़ने की चाह थी और न उसे ईश्वर ने पंख दिए थे।

Some More Questions From बाज और साँप Chapter

कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।

लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा? क्या उसने फिर से उड़ने की कोशिश की होगी? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।

क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।

मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है?

यदि स कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते तब कहानी कैसी होती? अपनी कल्पना से लिखिए।

कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

‘आरामदेह’ शब्द में ‘देह’ प्रत्यय है।  यहाँ ‘देह’ ‘देनेवाला’ के अर्थ मैं प्रयुक्त होता है। देनेवाला के अर्थ में ‘द’, ‘प्रद’, ‘दाता’, ‘दाई’ आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे-सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।

साँप का निवास कहाँ था? वह अपने जीवन से संतुष्ट था या नहीं यदि था तो क्यों?

साँप किसका प्रतीक है?

साँप के विचारों में दार्शनिकता कब झलकती है?